April 29, 2024
Soils of Bihar

बिहार की मिट्टियां ( Soils of Bihar )

Soils of Bihar :- दोस्तों, अगर आप बिहार से बिलॉन्ग करते हैं और आप जानना चाहते हैं, कि आखिर बिहार में कौन-कौन सी प्रकार की मिट्टी पाई जाती है और बिहार में कैसी कैसी मिट्टी उपजाऊ होती है और किस मिट्टी पर कौन सी फसल ज्यादा होती है।

अगर आप इन सभी के बारे में जानना चाहते हैं, तो हमारे इस लेख के साथ अंत तक बने रहें, क्योंकि इस लेख में हम बिहार की मिट्टियों पर चर्चा करने वाले हैं और हर एक जानकारी प्रदान करने वाले हैं, तो चलिए शुरू करते हैं, इसलिए को बिना देरी किए हुए।


बिहार की मिट्टीया ( Soils of bihar )

हम सभी जानते हैं, की मिट्टी भूपृष्ठ की सबसे ऊपरी सतह होती है। मिट्टी का निर्माण चट्टानों के टूटने, फूटने चकनाचूर होने से और जैविक तथा रासायनिक व भौतिक परिवर्तनों से होता है। मिट्टी की उत्पादकता उसके भौतिक गुणों के कारण होती है।

कई स्थानों की मिट्टी मे चूने का अंश अधिक रहता है, उसे पेडोकल्स कहा जाता है और कई स्थान की मिट्टी में एलुमिनियम और लोहे का अंश अधिक रहता है तो उसे पेलफार्स कहा जाता है।

मिट्टी बनने प्रक्रिया की दृष्टि से देखा जाए तो बिहार में मुख्यतः दो प्रकार की मिट्टी पाई जाती है :-

  • जलोड मिट्टी और
  • अवशिष्ट मिट्टी

गंगा के उत्तरी मैदानों में जलोड मिट्टी अधिक पाई जाती है।


बिहार की मिट्टियों के प्रकार

यदि बिहार में पाई जाने वाली मिट्टी के प्रकार की बात करें तो बिहार सरकार के कृषि अनुसंधान विभाग ने बिहार की मिट्टी को मुख्यतः तीन वर्गों में वर्गीकृत किया है :-

  • उत्तरी बिहार के मैदान की मिट्टी
  • दक्षिणी बिहार के मैदान की मिट्टी
  • दक्षिण पठार की मिट्टी

आइये इनके बारे में विस्तार पूर्वक जाने :-

1. उत्तरी बिहार के मैदान की मिट्टी

उत्तरी बिहार के मैदान में मुख्य रूप से जलोढ़ मिट्टी का विस्तार है जिसका निर्माण इन मैदानों से होकर बहने वाली नदियों से हुआ है। उत्तरी बिहार के मैदान की मिट्टी को भी निम्न उपवर्गों में बांटा गया है –

  • उपहिमालय की पर्वतपदीय मिट्टियां

इस प्रकार की मिट्टी पश्चिम उत्तर के पर्वतीय इलाकों में मिलती है। इसका रंग पीला या गहरा भूरा होता है।

  • बांगर मिट्टी

यह अधिकतर ऊंचे मैदानी इलाकों में मिलती है। यह पुरानी जलोड मिट्टी होती है। इस प्रकार की मिट्टी में चिका की मात्रा अधिक होती है और यह मिट्टी अपेक्षाकृत भारी होती है। इस मिट्टी में चूना और पोटाश पर्याप्त मात्रा में होता है। इसमें फास्फोरस, नाइट्रोजन इत्यादि की कमी होती है।

  • खादर या नवीन जलोढ़ मिट्टी

इस प्रकार की मिट्टी का अधिकतर विस्तार पूर्णिया और सहरसा जिले के क्षेत्रों में है। इस मिट्टी का रंग काला या फिर गाढ़ा भूरा होता है। इस मिट्टी में क्षार और चुना होता है। धान की खेती करने के लिए इस प्रकार की मिट्टी अनुकूल रहती है।

  • तराई मिट्टी

यह मिट्टी तराई क्षेत्र में उतरी सीमा से लेकर पश्चिमी चंपारण के किशनगंज तक 3 से लेकर 8 किलोमीटर चौड़ी पट्टी के रूप में फैली हुई है। इस प्रकार की मिट्टी में नमी पर्याप्त रहती है और इसमें चुना भी अच्छी मात्रा में होता है।

2. दक्षिण बिहार के मैदान की मिट्टियाँ

दक्षिण बिहार में मिट्टीयों का निर्माण सोन, फल्गु, पुनपुन आदि नदियों के द्वारा हुआ है। छोटा नागपुर के पठार और गंगा के मैदान के बीच के क्षेत्रों में जलोढ़ मिट्टी मौजूद है। इस मिट्टी को भी उप वर्गों में वर्गीकृत किया गया है जो निम्न प्रकार से है :-

  • टाल मिट्टी

इस प्रकार की मिट्टी बाढ़ ग्रस्त क्षेत्रों में मिलती है। यह बक्सर से लेकर भागलपुर तक के क्षेत्रों में 8 से 10 किलोमीटर चौड़ी पट्टी के रूप में मिलती है।

  • कगारी मिट्टी

इस प्रकार की मिट्टी का गठन हल्का होता है तथा इसका रंग भूरा होता है। इस प्रकार की मिट्टी दक्षिण बिहार की नदियों के किनारे एक छोटी पट्टी के रूप में प्राकृतिक तटबंध पर मिलती है।

  • बलथर मिट्टी

इस प्रकार की मिट्टी कम उपजाऊ होती है। यह कैमूर से लेकर भागलपुर तक फैली है। इस प्रकार की मिट्टी लाल रंग की होती है जिसमें हल्का पीलापन भी होता है।

  • करैल कैवाल मिट्टी या पुरानी जलोढ़ मिट्टी

इस प्रकार की मिट्टी का विस्तार गंगा के दक्षिणी मैदान भाग में रोहतास से लेकर भागलपुर,  मुंगेर पटना, गया तक है। इस प्रकार की मिट्टी में अम्लीय तथा क्षारीय गुण संतुलित मात्रा में पाए जाते हैं। इस प्रकार की मिट्टी का रंग हल्का पीला, गहरा भूरा होता है। इसमें जल को सोखने की क्षमता भी अधिक होती है और अत्यधिक उर्वरा शक्ति भी पाई जाती है। इस प्रकार की मिट्टी को भांगर मिट्टी भी कहा जाता है।

3. दक्षिण पठार की मिट्टी

बिहार के संकीर्ण दक्षिण पठार में अवशिष्ट मिट्टी पाई जाती है। इस का रंग पीला तथा लाल होता है। इस मिट्टी को दो निम्न उप वर्गों में बांटा गया है :-

  • पहली – कैमूर पहाड़ी में मिलने वाली लाल बालू युक्त मिट्टी
  • दूसरा – लाल और पीली मिट्टी जो मुंगेर के खड़कपुर पहाड़ी क्षेत्र, गया, नवादा, जमुई बांका और औरंगाबाद के पठारी क्षेत्रों में मिलती है। इसमें लोह की मात्रा अधिक होती है जिसकी वजह से इसका रंग लाल होता है।

बिहार की मिट्टियों से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण तथ्य ( interesting facts about soils of bihar )

  • बांका जिले के अधिक ऊँचे भागों में लेटेराइट नाम की मिट्टी बहुतायत में पाई जाती है।
  • लाल और पीली मिट्टी का निर्माण रूपांतरित और आग्नेय चट्टानों के टूटने से हुआ है, जिनमें निस, शिष्ट तथा ग्रेनाइट प्रधान है।
  • नवादा, जमुई और गया  मे अबरखमुलक लाल मिट्टी पाई जाती है। निचले क्षेत्रों में इस मिट्टी का रंग पीला होता है और ऊंचाई वाले क्षेत्रों में इस मिट्टी का रंग गुलाबी होता है।
  • बलसुंदरी मिट्टी उर्वरता के निम्न श्रेणी में आती है।
  • बिहार में सबसे अधिक जलोढ़ मिट्टी पाई जाती है।
  • बिहार में  रेतीली मिट्टी, दोमट मिट्टी और चिकनी मिट्टी भी प्रसिद्ध है।
  • खादर या नवीन जलोढ़ मिट्टी का रंग गाढ़ा भूरा या फिर काला होता है। अतः बिहार में काली मिट्टी पाई जाती है।
  • बलथर मिट्टी मे जल अवशोषण की क्षमता कम होती है और यह कम उपजाऊ होती है।

FAQ,S:-

Q1. बिहार में सबसे ज्यादा कौन सी मिट्टी पाई जाती है ? – Soils of Bihar

Ans. बिहार में सर्वाधिक मात्रा में जलोढ़ मिट्टी पाई जाती है।

Q2. क्या बिहार में काली मिट्टी है ?

Ans. बिहार में पूरी मिट्टी काली नही है, क्योंकि बिहार में काली मिट्टी के साथ साथ खादर या नवीन जलोढ़ मिट्टी भी ज्यादा मात्रा में पाई जाती है।

Q3. बिहार में मिट्टी कितने प्रकार की होती है ?

Ans. बिहार में मुख्यतः तीन प्रमुख प्रकार की मिट्टी पाई जाती हैं।

Q4. क्या बिहार में जलोढ़ मिट्टी है ?

Ans. जी हाँ दोस्तों, बिहार में सर्वाधिक मात्रा में जलोढ़ मिट्टी है।

( अंतिम शब्द )

दोस्तों उमीद है, कि आप हमारे इस लेख ( Soils of Bihar ) को ध्यान से पूरे अंत तक पढ़ चुके होंगे और इस लेख के मदद से आप जान चुके होंगे, कि बिहार में कौन कौन सी मिट्टी पाई जाती है और कौन सी मिट्टी सबसे ज्यादा उपजाऊ होती है।

अगर आपके मन में अभी भी बिहार के मिट्टियों से जुड़ा कोई सवाल है, तो आप दी गई कमेंट बॉक्स में मैसेज कर के पूछ सकते हैं, हमारी समूह आपके सवालों का जवाब देने की कोशिश अवश्य करेगी।


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